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krishnakumar kunnath ‘kk Story in Hindi

By Brijesh Jangid

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krishnakumar kunnath 'kk
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krishnakumar kunnath ‘kk की कहानी

krishnakumar kunnath ‘kk, जिन्हें केके के नाम से जाना जाता है, एक प्रशंसित भारतीय प्लेबैक गायक थे जिनकी आत्मीय आवाज ने लाखों लोगों के दिलों को छू लिया। संगीत की दुनिया में उनका सफर, जो जुनून, समर्पण और दृढ़ता से भरा था, एक प्रेरणादायक कहानी है।

krishnakumar kunnath 'kk
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प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

krishnakumar kunnath ‘kk का जन्म 23 अगस्त 1968 को दिल्ली में एक मलयाली परिवार में हुआ। उनके पिता, सी. वी. कन्नाथ, एक वकील थे, जबकि उनकी मां, मल्लीका, एक गृहिणी थीं। एक संगीत प्रेमी परिवार में बड़े होने के कारण, केके को शुरुआती उम्र से ही विभिन्न संगीत शैलियों से परिचित कराया गया। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत और बॉलीवुड के समकालीन गीतों से प्रभावित होकर छोटी उम्र में गाना शुरू किया।

krishnakumar kunnath(केके) ने अपनी स्कूली शिक्षा माउंट सेंट मेरी स्कूल, दिल्ली से की और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया। हालांकि उन्होंने वाणिज्य में डिग्री प्राप्त की, लेकिन उनका असली जुनून संगीत में था। विभिन्न संगीत शैलियों के प्रति उनकी प्रारंभिक रुचि ने उनके करियर को आकार दिया। वे स्कूल और कॉलेज के प्रतियोगिताओं में प्रदर्शन करने लगे, जिससे उनकी क्षमताओं में निखार आया और आत्मविश्वास बढ़ा।

संगीत करियर की शुरुआत

krishnakumar kunnath ‘kk की पेशेवर यात्रा 1990 के दशक की शुरुआत में मुंबई में शुरू हुई, जो भारतीय संगीत उद्योग का केंद्र है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत विज्ञापनों के लिए जिंगल गाकर की, जिसने उन्हें रिकॉर्डिंग संगीत की बारीकियों के अनुभव और प्रशिक्षण का अवसर दिया। उनकी बहुमुखी प्रतिभा और विभिन्न संगीत शैलियों के साथ समायोजन की क्षमता ने जल्दी ही संगीतकारों का ध्यान आकर्षित किया।

1994 में, केके ने फिल्म महाभारत से “छोड़ दो आंचल” गीत के साथ प्लेबैक सिंगर के रूप में पदार्पण किया। हालांकि, उनका असली ब्रेक 1992 में फिल्म बाज़ीगर के लिए संगीतकार प्रीतम के साथ सहयोग से आया। गीत “यारों दोस्ती बड़ी ही हसीन है” दोस्ती का एक प्रतीक बन गया और उन्होंने अपनी गायकी के माध्यम से गहरी भावनाओं को व्यक्त करने की क्षमता दिखाई।

प्रसिद्धि की ओर बढ़ना

1990 के दशक और 2000 के प्रारंभिक वर्षों में, केके एक लोकप्रिय प्लेबैक सिंगर के रूप में उभरे। उनकी अनूठी आवाज और भावपूर्ण गायन शैली ने श्रोताओं के दिलों में जगह बनाई, जिससे वे संगीतकारों और फिल्म निर्माताओं के पसंदीदा बन गए। इस दौरान उन्होंने कई हिट गाने दिए, जैसे हम दिल दे चुके सनम (1999) का “तड़प तड़प के”, काइट्स (2010) का “पाल” और धूम 2 (2006) का “धूम अगेन”।

केके का एक और प्रतीकात्मक गीत, कहीं प्यार ना हो जाए (2000) से “आँखों में बस गया,” रोमांस की भावना को व्यक्त करने की उनकी क्षमता का उदाहरण है। उनके सहयोग ने उन्हें ए. आर. रहमान, विशाल-शेखर, और मिथून जैसे प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ और अधिक मजबूत किया।

केके की बहुमुखी प्रतिभा बॉलीवुड तक ही सीमित नहीं रही। उन्होंने तमिल, तेलुगु, और कन्नड़ सिनेमा जैसी कई क्षेत्रीय फिल्मों में भी अपनी आवाज दी। उनके गाने भाषाई सीमाओं को पार करते हुए पूरे भारत के विविध दर्शकों के साथ जुड़ने में सफल रहे।

संगीत योगदान और सहयोग

अपने करियर के दौरान, केके ने कई प्रसिद्ध कलाकारों और संगीतकारों के साथ सहयोग किया। उनके द्वारा विभिन्न शैलियों, जैसे रॉक और शास्त्रीय संगीत, को मिलाने की क्षमता ने उनकी गायकी की बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाया। उन्होंने सोनू निगम, श्रेया घोषाल, और अरिजीत सिंह जैसे कलाकारों के साथ काम किया, जिनसे कई यादगार ट्रैक बने, जिन्हें प्रशंसकों द्वारा अभी भी पसंद किया जाता है।

केके का संगीत में योगदान केवल प्लेबैक गाने तक सीमित नहीं था। उन्होंने कई एल्बम भी जारी किए, जिसमें उनके अपने गीत और रचनाएँ शामिल थीं। पाल और हमसफर जैसे एल्बमों में उनकी मूल रचनाएँ थीं और इन्हें आलोचनात्मक प्रशंसा मिली। उनका संगीत श्रोताओं के साथ गहरे भावनात्मक संबंध स्थापित करता था, जो अक्सर प्रेम, दोस्ती और जीवन के अनुभवों के विषयों पर आधारित होता था।

व्यक्तिगत जीवन

अपनी प्रसिद्धि के बावजूद, krishnakumar kunnath ‘kk हमेशा विनम्र और साधारण बने रहे। उन्होंने 1991 में ज्योथी से विवाह किया और दंपति के दो बच्चे, नाकुल और तामारा हुए। केके को अपने परिवार से बहुत प्यार था और वे अक्सर बताते थे कि उनके लिए उनका परिवार कितना महत्वपूर्ण था। उन्होंने अपने पेशेवर जीवन को एक समर्पित पति और पिता के रूप में संतुलित किया, यह सुनिश्चित करते हुए कि उनका परिवार हमेशा उनकी प्राथमिकता बना रहे।

केके की गर्म और सच्ची प्रकृति ने उन्हें प्रशंसकों और सहकर्मियों के बीच एक विशेष स्थान दिलाया। उन्होंने हमेशा संगीत की शक्ति के बारे में बात की, कि कैसे यह लोगों को जोड़ सकता है और भावनाओं को व्यक्त कर सकता है जिन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता।

विरासत और प्रभाव

31 मई 2022 को केके की अचानक मृत्यु ने संगीत उद्योग को झकझोर कर रख दिया और ऐसा शून्य छोड़ दिया जो भरना मुश्किल है। वे कोलकाता में एक प्रदर्शन के बाद निधन हो गए, जिससे उनके पीछे एक समृद्ध संगीत विरासत रह गई जो कलाकारों को प्रेरित करती है और श्रोताओं के दिलों को छूती है।

भारतीय संगीत में उनके योगदान की कोई माप नहीं है, क्योंकि वे एक पीढ़ी की आवाज बन गए। तुम मिले (2009) से “दिल इबादत” और बचना ऐ हसीनों (2008) से “खुदा जाने” जैसे गाने आज भी शादियों, समारोहों और मेलों में सुनाई देते हैं।

केके का भारतीय संगीत पर प्रभाव गहरा है। उनकी गायकी के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करने की क्षमता ने उन्हें बॉलीवुड और उससे आगे एक प्रिय व्यक्ति बना दिया। प्रशंसक और सहकर्मी उन्हें न केवल उनकी अद्वितीय आवाज के लिए बल्कि उनके विनम्रता और अपने काम के प्रति समर्पण के लिए भी याद करते हैं।

निष्कर्ष

केके की कहानी जुनून, समर्पण और संगीत के प्रति प्रेम की है। उन्होंने प्लेबैक गायकी की प्रतिस्पर्धी दुनिया में अपनी पहचान बनाई, लाखों लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। उनकी विरासत उनके कालातीत गानों के माध्यम से जीवित है, जो भविष्य की पीढ़ियों के संगीतकारों और गायकों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है। केके को हमेशा भारतीय संगीत के सच्चे उस्ताद के रूप में याद किया जाएगा, एक किंवदंती जिनकी धुनें लोगों के दिलों में सदैव गूंजती रहेंगी।

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